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~ हमारा इतिहास ~

समाज की आवश्यकता के अनुसार शिक्षा के क्षेत्र में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं ने मिलकर वर्तमान में आर्य कन्या इंटर कॉलेज के निकट संघ कार्यालय में सन 1979 में 14 बच्चों के साथ कक्षा षष्ठी प्रारंभ की। उसके पश्चात सन 1980-81 में श्री लक्ष्मी नारायण धर्मशाला (रेलवे स्टेशन के सामने) कक्षा षष्ठी तथा सप्तमी की कक्षाएं चलीं।

सन 1981-82 में साहित्य समिति द्वारा संचालित सरस्वती शिशु मंदिर के प्रांगण में ही सरस्वती विद्या मंदिर जूनियर हाई स्कूल की कक्षाएं तीन झोपड़ियों में प्रारंभ की गईं। उसी वर्ष (1981-82) में 14 छात्र प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुए तथा जिले में प्रथम पांच स्थान प्राप्त कर विद्यालय का गौरव बढ़ाया। इसके पश्चात विद्यालय में छात्रों की संख्या बढ़ने लगी।

विद्यालय के सेवक भैया इलियास ने तांगा चलाकर शहर के छात्रों को विद्यालय तक लाना तथा विद्यालय की साफ-सफाई जैसे कार्य बड़े ही सेवा भाव से किए। विद्यालय के संस्थापक प्रधानाचार्य श्री सुरेश चंद्र नागर रहे। संस्थापक आचार्य श्री ओमप्रकाश शर्मा, श्री दयाराम चौहान, श्री रमेश चंद्र मेहता, श्री मनोहर सिंह सेंगर थे। संस्थापक मंडल में श्री रमेश चंद्र सक्सेना, कुंवर जगदीश प्रसाद, श्री गणेश चंद्र भंडारी, श्री शांति स्वरूप वार्ष्णेय, श्री नरेंद्र सहाय, श्री राधेश्याम जी, श्री राम गोपाल वर्मा, श्री उमेश चंद्र अग्रवाल, श्री बैकुंठनाथ वार्ष्णेय, श्री गिरिधर सेठ तथा तत्कालीन प्रचारक श्री रामदत्त जी आदि के अथक परिश्रम तथा सहयोग से विद्यालय निरंतर अग्रसर होता रहा।

विद्यालय का विकास:

शनैः-शनैः अन्य कक्षाएं बढ़ती गईं और 1982 में जूनियर हाई स्कूल की शासन द्वारा मान्यता दी गई। इसके साथ ही तीन कक्ष (झोपड़ियाँ) का निर्माण हुआ। शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी कार्य करते हुए 14 वर्ष के संघर्ष कालखंड के बाद सन् 1994-95 में श्री मुन्ना बाबू, प्रधानाचार्य के कार्यकाल में कक्षा षष्ठी का दूसरा वर्ग प्रारंभ करने की आवश्यकता हुई।

सत्र 1996-97 में श्री सुरेशपाल सिंह जादौन के कार्यकाल में तीनों कक्षाओं के दो-दो वर्ग विधिवत संचालित होने लगे। कक्षाओं के संचालन हेतु भवन की आवश्यकता पूर्ति के लिए श्री रमेश चंद्र (भट्टा वाले) ने दो कक्षों का निर्माण कराया। जिसका उद्घाटन दिनांक 12.05.1998 (ज्येष्ठ कृष्ण पक्ष प्रतिपदा, विक्रम संवत् 2055) को मुख्य अतिथि माननीय श्री रवीन्द्र जी शुक्ल (बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री, स्वतंत्र प्रभार, उत्तर प्रदेश) के कर-कमलों द्वारा सम्पन्न हुआ।

तत्कालीन अध्यक्ष श्री यशपाल सिंह चौहान, प्रबंधक श्री विनोद कुमार गुप्ता तथा प्रधानाचार्य श्री सुरेशपाल सिंह जादौन पदासीन थे। कार्यक्रम की समाप्ति के पश्चात माननीय मंत्री जी के साथ बैठक में समाज की आवश्यकता को देखते हुए कुछ गणमान्य व्यक्तियों ने प्रस्ताव रखा कि विद्यालय की अग्रिम कक्षा संचालन हेतु कार्यवाही प्रारंभ की जाए।

हाईस्कूल की मान्यता:

तत्पश्चात प्रबंध समिति की बैठक में प्रस्ताव पारित हुआ कि हाईस्कूल की मान्यता ली जाए। श्रीमान सुरेशपाल सिंह जादौन ने पत्रावली तैयार कर शासन को भेजी, परंतु इसी दौरान उनका स्थानांतरण हो गया और उनके स्थान पर श्री प्रेमकिशोर शर्मा का कार्यकाल प्रारंभ हुआ।

जिला विद्यालय निरीक्षक द्वारा पत्रावली के अवलोकन में कमियां पाए जाने पर उसे निरस्त कर दिया गया।

17 जनवरी 2002 को नवीन भवन के लोकार्पण एवं सांस्कृतिक महोत्सव के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में श्री रवीन्द्र सिंह, जिला विद्यालय निरीक्षक, हाथरस उपस्थित रहे। विद्यालय की भौतिक स्थिति, शिक्षण कार्य और व्यवस्था देखकर वे अत्यंत प्रभावित हुए। उन्होंने रुकी हुई पत्रावली को पुनः आगे बढ़ाने का सुझाव दिया, और इसके परिणामस्वरूप सन् 2003 में सरकार द्वारा हाईस्कूल की मान्यता प्रदान की गई।

उत्कृष्ट परीक्षा परिणाम:

स्थानीय प्रबंध समिति एवं आचार्यों के प्रयास से सन् 2002 में कक्षा नवमी प्रारंभ की गई, जो एम.आई. इंटर कॉलेज सिकंदराराव से सम्बद्ध थी। सन् 2003 में 29 छात्र परीक्षा में सम्मिलित हुए, जिसमें भैया अंकुश माहेश्वरी ने जिले में प्रथम स्थान प्राप्त किया। सन् 2005-06 में अजय कुमार शर्मा ने तहसील में प्रथम स्थान प्राप्त किया, जो वर्तमान में उप-जिलाधिकारी कार्यालय में स्टेनो पद पर कार्यरत हैं।

सत्र 2008-09 में अजय प्रताप सिंह ने मण्डल में प्रथम, अभिनव शर्मा एवं निखिल वार्ष्णेय ने जिले में चतुर्थ, शुभम सिंह ने पाँचवां, शुभम वर्मा ने छठवां, सुधीर कुमार ने सातवां, अमित कुमार एवं शुभम वार्ष्णेय ने आठवां स्थान प्राप्त किया।

सत्र 2010-11 में आयुष कुलश्रेष्ठ ने जिले में तृतीय, दुष्यंत कुमार ने पाँचवां तथा बजाहत अली ने छठवां स्थान प्राप्त किया।

इंटरमीडिएट की मान्यता और वर्तमान स्थिति:

सत्र 2008 के हाईस्कूल परीक्षा परिणाम में उत्कृष्ट प्रदर्शन के कारण विद्यालय को मण्डल स्तर पर सम्मानित किया गया, और माननीय शिक्षा मंत्री द्वारा विद्यालय के प्रधानाचार्य को सम्मानित किया गया।

समाज की अपेक्षा एवं विद्यालय की प्रगति को ध्यान में रखते हुए, स्थानीय समिति एवं आचार्यों के निरंतर प्रयास से विद्यालय में विज्ञान एवं कंप्यूटर प्रयोगशालाओं का निर्माण हुआ तथा एकादश कक्षा प्रारंभ की गई। सन् 2012-13 में शासन द्वारा इंटरमीडिएट की मान्यता प्रदान की गई।

अगले ही सत्र 2013-14 में हाईस्कूल एवं इंटर के परिणाम अत्यंत श्रेष्ठ रहे, जिससे 32 भैया/बहिनों को लैपटॉप प्राप्त हुए। सत्र 2017-18 में जनपद के टॉप-10 छात्रों में से 8 छात्र इसी विद्यालय के थे। वर्तमान मुख्यमंत्री द्वारा विद्यालय की दो छात्राओं को सम्मानित किया गया।

आज यह विद्यालय, जो कभी झोपड़ियों में संचालित होता था, अपने भव्य भवन, विज्ञान व कंप्यूटर प्रयोगशालाओं तथा गुणवत्ता पूर्ण शिक्षा के कारण एक आदर्श कॉलेज का रूप धारण कर चुका है। यह क्षेत्र के छात्र-छात्राओं, अभिभावकों और समाज के सामान्य नागरिकों के सपनों को साकार करने वाला एक आदर्श शैक्षणिक संस्थान बन चुका है। भारतीय शिक्षा समिति द्वारा इस विद्यालय को "आदर्श विद्यालय" का स्थान प्राप्त हो चुका है।

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