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प्रधानाचार्य की कलम से

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नवीन सत्र में प्रवेश करते हुए विद्यालय, विद्यार्थियों के मस्तिष्क को शब्दों से भर देने से नहीं वरन् उन्हें शब्दों के आकलन, स्वविवेक, आत्मनिर्भरता व निर्णयों पर पहुँचने की क्षमता प्रदान करना चाहता है। सफल विद्यार्थी निर्माण हेतु विद्यालय सफल विद्यालय बनने हेतु कटिबद्ध है।

किसी विद्यालय में व्याप्त वातावरण, वहाँ जाने वाली शिक्षा-दीक्षा का प्रभाव अध्ययनरत विद्यार्थियों के मन मस्तिष्क पर पड़ता है। विद्यालयीन गतिविधियाँ न केवल शैक्षणिक अपितु प्रशिक्षण, कौशल विकास, खेल-कूद एवं अन्य विविध सांस्कृतिक गतिविधियों में ध्यान में रखते हुए ही सम्पन्न की जानी चाहिए।

विद्यार्थियों के अनुशासन, IQ (बौद्धिक क्षमता), EQ (भावनात्मक क्षमता) एवं SQ (सामाजिक क्षमता) के सर्वांगीण विकास हेतु व्यवस्थित प्रयास विद्यालय के माध्यम से किये जाते हैं।

विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास हेतु Co-Curricular गतिविधियों का महत्वपूर्ण भूमिका को समझते हुए एवं चल रही गतिविधियों में स्वयं की भागीदारी सुनिश्चित करते हुए ही उनका विकास सम्भव है।

शिक्षा के क्षेत्र में विद्यार्थियों के चरित्र निर्माण व नैतिक मूल्यों की शिक्षा भी अत्यंत आवश्यक है। विद्यालय का उद्देश्य विद्यार्थियों के भीतर ऐसी क्षमता का विकास करना है जिससे वे न केवल शैक्षणिक रूप से बल्कि एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में भी विकसित हों।

विद्यालय का संकल्प केवल शैक्षणिक विकास तक सीमित न होकर विद्यार्थियों के बौद्धिक, सामाजिक एवं नैतिक मूल्यों का विकास करना है।

प्रिय अभिभावकों एवं विद्यार्थियों, आइए हम सब मिलकर अपने विद्यालय को उत्कृष्टता की नई ऊँचाइयों तक पहुँचाएँ। हमें पूर्ण विश्वास है कि आप सभी के सहयोग से हमारा विद्यालय सफलता के नये मानक स्थापित करेगा।

अनिल कुमार सिंह चौहान 
प्रधानाचार्य 
सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कालेज
सिकंदराराव (हाथरस)

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