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विद्या भारती विद्यालय
विद्या भारती अखिल भारतीय शिक्षण संस्थान
बोर्ड विद्यालय कोड : 071131 युडाइस कोड : 09130900144


वीरेन्द्र कुमार शर्मा,
पूर्व प्रधानाचार्य (1986-89)
‘‘ तीन झोपड़ियों में विद्या भारती की संकल्पना पूर्ण की गई’’ मेरा आगमन जुलाई सन्1986 में खुर्जा से स्थानान्तरण द्वारा हुआ। 01.07.1986 को प्रधानाचार्य पद का कार्यभार ग्रहण किया। उस समय विद्यालय में कक्षा- 6,7,8 की तीन कक्षाऐं चलती थी। विद्यालय में 3 झोंपडियां थी। जिनमें 80 छात्र/छात्राएं अध्ययनरत थे। फर्श कच्चा था। टाट पट्टी की व्यवस्था थी। झोपड़ियों में रेत इकठठ्ा हो जाता था। उस समय सेवक बाबूलाल यादव थे। आचार्य संख्या 4 थी। सेवक भैया व उनकी पत्नी गोबर से लिपाई करते थे। विद्यालय के अनुशासन की चर्चा चारो तरफ थी। कमजोर छात्रों की विषयशः अलग से कक्षाऐं चलाकर कमजोरी दूर की जाती थी। सन् 1988 तक छात्र संख्या 152 हो गई। विद्यालय आचार्यों के बैठने के लिए कुर्सियां नहीं थीं। विद्यालय में पहला सरस्वती पूजन मनाया गया। आचार्यों के अथक प्रयास से सरस्वती पर कुर्सियां, घोष, अलमारी, दरी, टाट पट्टी आदि का अभिभावकों से दान प्राप्त कर आवश्यक बस्तुओं लाई गई। विद्यालय के अनुशासन व संस्कारयुक्त शिक्षा के अधिक प्रचार-प्रसार के कारण छात्र प्रवेश में आशातीत वृद्धि हुई लेकिन स्थान के अभाव के कारण छात्रों वापस करना पड़ता था। सन्1987 में माह जून में भयंकर तूफान आने के कारण सभी झोपडियां उड़ गयी। विद्यालय के आचार्यों ने कहा कि भाई साहब अब पढा़ई कैसे होगी व वि़द्यालय कैसे चलेगा। विद्यालय के प्रबन्धक श्री गिरीशचन्द्र पटेल ने मुझें बुलाकर झोपड़ियां बनबाने का कार्य सौंपा। तब मैने व सभी आचार्यों ने मिलकर व अन्य सहयोग से 25 जून तक झोपड़ियां बनबाकर व गोबर से लिपवा कर तैयार करा दी। सन् 1987 में मैने श्री होड़िल सिंह (पूर्व प्रदेश निरीक्षक) को स्थानीय आधार पर रखा। उन्होने छात्रों को शारीरिक विषय एवं घोष की शिक्षा दी। 1989 में मेरा स्थानन्तरण साहिबाबाद तथा होडिल ंिसह का स्थानन्तरण कासिमपुर पावर हाउस अलीगढ हो गया। मेरे बाद प्रधानाचार्य का कार्यभार श्री शम्भूशरण मिश्र ने लिया। उस समय की प्रतिभाओं में आशीष गुप्ता एम्स हास्पीटल चंडीगढ एक सर्जन डाक्टर हैं। नितिन माहेश्वरी अमेरिका में इंजीनियर व गण्ेश वाष्र्णेय उद्योगपती हैं। अन्य छात्र भी उच्च पदों पर आसीन हैं।
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